| The News Times | नई दिल्ली : उन्नाव दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद पीड़िता के परिवार को बड़ी राहत मिली है, वहीं पीड़िता के वकील महमूद प्राचा ने समाज और सिस्टम की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
वकील महमूद प्राचा का छलका दर्द :
“पीड़िता आज भी बंदी है” सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए वरिष्ठ वकील महमूद प्राचा काफी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा, “कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रोका है, तो इतनी संतुष्टि है कि अब मैं पीड़िता को कह सकता हूँ कि वो (सेंगर) कुछ दिन बाहर नहीं आएगा।” प्राचा ने पीड़िता की दयनीय स्थिति का जिक्र करते हुए व्यवस्था को आईना दिखाया। उन्होंने कहा…..”जिस बच्ची के पिता को मार दिया गया, परिवार को खत्म कर दिया गया और उसे खुद मौत के मुंह तक पहुँचा दिया गया, वह आज दर-दर की ठोकरें खा रही है। वह CRPF के साये में एक ‘बंदी’ की तरह रह रही है, वह ठीक से बात तक नहीं कर सकती। मेरा सवाल यह है कि क्या हमारा समाज, हमारी सरकार और हमारे कोर्ट इस बच्ची के लिए वह सब कर रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए? क्या उसकी उजड़ी हुई जिंदगी को फिर से बसाया जा रहा है?”
पीड़िता की माँ बोलीं: “हमें सिर्फ मौत की सजा चाहिए” :
सुप्रीम कोर्ट के इस कड़े रुख पर पीड़िता की माँ ने संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, *”हम बहुत खुश हैं और सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं। हमने शुरू से ही मांग की थी कि उसे (कुलदीप सेंगर को) मौत की सजा दी जाए। मेरे पति की मौत के जिम्मेदार सभी दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुँचना चाहिए।”
क्या था मामला ?
ज्ञात हो कि दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा पर रोक लगा दी थी, जिससे उसकी जेल से बाहर आने की संभावना बढ़ गई थी। पीड़िता के परिवार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसका मतलब है कि कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेगा।
समाज और सरकार के लिए बड़ा सवाल :
महमूद प्राचा की बातों ने एक बार फिर देश का ध्यान हाई-प्रोफाइल मामलों में पीड़ितों की सुरक्षा और पुनर्वास की ओर खींचा है। उनका कहना है कि दोषी का जेल में रहना तो जरूरी है ही, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है उस बच्ची को एक सामान्य और भयमुक्त जीवन देना, जिसका सब कुछ छीन लिया गया।

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