Chandauli : नारी परिवार की धुरी और समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई होती है : रीना बिंद

उत्तर प्रदेश

| The News Times | चन्दौली : पीडीडीयू नगर में एक ट्रस्ट द्वारा “सशक्त नारी समृद्ध समाज” पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष सोनू किन्नर व विशिष्ट अतिथि प्रमुख समाज सेवी रीना बिंद ने दीप प्रज्वलित करने के साथ ही छात्राओं द्वारा स्वागत गीत के साथ किया गया । कार्यक्रम में संस्था से जुड़ी महिलाओं ने खूब बढ़चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता के तौर पर विशिष्ट अतिथि व प्रमुख समाजसेवी रीना बिंद ने संबोधित करते हुए कही कि सशक्त नारी समाज का आधार स्तंभ है। जहां सशक्त नारी है वहीं समाज, परिवार, देश राष्ट्र भी मजबूत बनेगा। उन्होंने कहा कि आज के समाज में रुढिय़ां, कुरीतियां, रीति-रिवाज, सांप्रदायिकता बढऩे लगी है। इस कुचक्र में नारी फंसती गई है। नारी के अद्योपतन से समाज का भी पतन होने लगा है।

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नारी परिवार की धुरी और समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है। माता संतान की प्रथम गुरु है। यदि वह स्वयं शिक्षित है, गुणवान है, समर्थ है, सशक्त है, आत्मबल आत्मसम्मान महसूस करती है तो वह संस्कार संतान को देती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में यह देखने में आ रहा है कि नारी अपना कर्तव्य करने में पूर्ण रूप से सक्षम नहीं। उन्होंने कहा कि कमजोर संस्कार वाली नारी अपने बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार नहीं दे पाती। हमें अपने संस्कारों की विरासत की रक्षा करे इसके लिए नारी को आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से स्वयं को सशक्त बनाना होगा। नारी को आर्थिक, सामाजिक एवं प्रशासनिक रूप में स्वयं को सशक्त बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण का मतलब यह नहीं है कि हम अपने अधिकारों का दुरुपयोग करे बल्कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। अपने हर कर्म को समाज में बेहतर बनाने का प्रयास करें तभी वे समाज परिवर्तन में सहयोगी बनेगी ।उन्होंने कहा कि सशक्त नारी समाज का आधार स्तंभ है। जहां सशक्त नारी है वहीं समाज, परिवार, देश राष्ट्र भी मजबूत बनेगा। उन्होंने कहा कि आज के समाज में रुढिय़ां, कुरीतियां, रीति-रिवाज, सांप्रदायिकता बढऩे लगी है। इस कुचक्र में नारी फंसती गई है। नारी के अद्योपतन से समाज का भी पतन होने लगा है।

अंत मे उन्होंने कहा कि आज समाज शिक्षित जरूर हो रहा है लेकिन महिला के अधिकारों को लेकर सोच नहीं बदली है। बेटी अपने पिता तथा पत्नी अपने पति की अनुमति के बिना एक कदम भी घर से बाहर नहीं निकल सकती। यह घर के मुखिया पर निर्भर करता है कि उसकी बेटी या बहू पढ़ाई या रोजगार के लिए घर से बाहर जाए या नहीं। पढ़ा-लिखा समाज भी महिलाओं का शोषण करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। ऐसे में महिला सशक्तिकरण की बात करना बेमानी सा दिखता है। महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब महिलाओं में नेतृत्व की भावना पैदा की जाए तथा उन्हें भी घर का मुखिया बनाए जाए। कहा कि जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होगी समाज समृद्ध नहीं होगा। समृद्ध समाज से ही भारत विकसित राष्ट्र बन सकता है। इसलिए महिलाओं को सशक्त करने की जरूरत है।

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