LokSabha Election  2024 : शमशान घाट पर बनाया चुनाव कार्यालय, नामांकन भरने अर्थी पर जाएगा ये प्रत्याशी

राजनीति राष्ट्रीय

LokSabha Election  2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के रण में इस बार कई अनोखे प्रत्याशी देखने को मिल रहे हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी हैं, जो उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं और नामांकन भरने वाले हैं। इनका नाम है राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा, जिन्होंने MBA करके इंटरनेशनल मार्केटिंग की डिग्री ली हुई है, लेकिन नौकरी न करने का फैसला लेकर समाजसेवा करने का संकल्प लिया है। उन्होंने अपना ऑफिस राप्ती नदी के तट पर बने शमशान घाट में खोला है।

राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम से यह शख्स पिछले दो दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली और कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान, संघर्षों और आंदोलन से बनाता रहा है. एमबीए इंटरनेशनल मार्केटिंग की डिग्री लेने के बाद भी किसी नौकरी से ना जुड़कर, सामाजिक परिवर्तन करने के उद्देश्य से लगातार राजनीतिक मंच का सहारा लेकर आंदोलन करने वाला यह अर्थी बाबा अभी तक कई चुनाव भी लड़ चुका है, लेकिन उसे किसी चुनाव में सफलता नहीं मिली है.

राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा का कहना है कि शमशान घाट ही उसका कार्यालय होगा. यहां आने वाले लोगों से एक-एक रुपये सहयोग लेकर ही वह अपने चुनाव का खर्च चलाएगा. जो आत्माएं होगी वही उसकी एजेंट होंगी. गोरखपुर की धरती पर कोई बाहरी और नाचने गाने वाले लोग चुनाव लड़कर जीते यह गोरखपुर के लिए ठीक नहीं है. यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना चाहिए, जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं के बारे में जानता हो. मुझे भले भी अभी तक गोरखपुर की जनता ने जीत नहीं दिलाया लेकिन, शमशान घाट से मैंने कई आंदोलन किया. इसका नतीजा है कि गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम उनके आंदोलन की देन है.

राजन बाबा ने ये कहा :  

राजन यादव कहते हैं कि मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. लोकतंत्र की अर्थी निकल रही है. ऐसे में अगर वह शमशान घाट पर लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं और अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते है तो, इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि जब लोकतंत्र का जनाजा निकल रहा है तो संसद में पहुंचने वाले लोग भी, इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें इसमें क्या बुराई है. मैंने इसलिए आज तक शादी ब्याह नहीं किया क्योंकि, देश ही राजनीति और लोकतंत्र को बचाने के लिए जैसे तमाम नेता बिना शादी विवाह के जुटे हैं, वैसे मैं भी जुटा हूं.

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