DDU Junction Security : देश के टॉप स्टेशनों पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। स्टेशन के मुख्य द्वार पर सुरक्षा से जुड़ी कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है। हालांकि लगेज स्कैनर लगा तो है, लेकिन वह भी शो पीस बनकर रह गया है। जंक्शन के रास्ते मादक पदार्थ के साथ अन्य चीजों की तस्करी का आरोप लगता रहता है। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता।
दरअसल पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन भारतीय रेलवे की प्रमुख जंक्शनों में से एक है। जहां से प्रतिदिन यात्रियों के आवागमन की संख्या करीब एक लाख बताई जाती है। वहीं पर त्योहारों में यात्रियों के फुटफॉल का आंकड़ा और भी बढ़ जाता है। हालांकि जब यात्रियों की सुरक्षा और स्टेशन पर प्रवेश की निगरानी की बात होती है, तो सारी व्यवस्थाएं फेल नजर आती है। सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले अधिकारी इस कदर लापरवाह है कि बगैर सामान स्कैन कराए ही लोग मुख्य द्वार से आराम से आते-जाते देखे जाते है।
वर्ष 2018 में मुग़लसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया। जिसके बाद स्टेशन का विस्तार मॉडल स्टेशनों के अनुरूप किया गया है। इसके बाद भी सुरक्षा को लेकर लापरवाही का आलम यह है कि स्टेशन पर जाने वाले मुख्यद्वार के अलावा अन्य कई गेट हैं लेकिन किसी भी प्रवेश गेट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। मुख्य प्रवेश द्वार पर लाखों रुपए की लागत से लगेज स्कैनर तो लगाया गया। लेकिन वह आज भी शोपीस की तरह बनकर रह गया है। इतना ही नहीं मुख्य द्वार के आसपास सुरक्षा ड्यूटी में तैनात सुरक्षा कर्मी अक्सर ड्यूटी पॉइंट से गायब मिलते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की, डीडीयू जंक्शन पर आने जाने वाले यात्रियों और स्टेशन के सुरक्षा भगवान भरोसे है।
डीडीयू जंक्शन पर कुल आठ प्लेटफार्म हैं। जिसपर जाने के लिए रेलवे ट्रैक के उत्तर और दक्षिण तरफ से प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। यात्रियों का आवगमन दोनों ही रास्तों से होता है। ऐसे में जक्शन के किसी भी प्रवेश द्वार पर लगे मेटल नहीं लगया जाना भी सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा में सेंध का फायदा कभी असामाजिक तत्वों द्वारा उठाया जा सकता है। अब सवाल ये है कि आखिर कब तक अधिकारी जंक्शन की सुरक्षा के प्रति लापरवाह रहेंगे ?
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