Varanasi : जल्द ही स्वर्ण जड़ित होगा काशी विश्वनाथ मंदिर, एक भक्त ने दिया 120 किलो सोना दान

वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (shree Kashi Vishvanath Mandir) के लिए एक भक्त ने 120 किलो सोने (Gold) का गुप्त दान किया है। यह भक्त दक्षिण भारत का रहने वाला है। गर्भगृह के अंदर स्वर्ण पत्तर (Gold leaf) लगाए जा चुके हैं। अब बाहर की दीवार पर लगाए जाएंगे। यानि बाबा का पूरा मंदिर स्वर्ण जड़ित (Gold studded temple) होगा। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) ने जब काशी विश्वनाथ (Kashi Vishvanath) में पूजा की तो पहली बार गर्भगृह स्वर्ण जड़ित होने की तस्वीरें सामने आई। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी (Pm Modi) ने स्वर्ण मंडित गर्भगृह (Gold-plated sanctum) में पहली बार जलाभिषेक किया। वह खुद भी दीवारों और सीलिंग को देखकर चकित रह गए।

इतने दिन पूर्व एक भक्त ने दिया था गुप्त दान :

इस बाबत मंदिर से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि बाबा को भक्त ने लगभग एक महीने पहले गुप्त दान किया है। हालांकि भक्त का नाम क्या है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। 10 दिन पहले गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने का काम शुरू हुआ था। अब गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने का काम हो चुका है। महाशिवरात्रि यानि कल 1 मार्च को भक्तों को सोने के पत्तर देखने को मिलेंगे। इसके चलते बाबा विश्वनाथ (kashi vishvanath) के मंदिर की आभा और चमक देखने लायक बन रही है।

सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद :

मंदिर (kashi Vishvanath Mandir) की आंतरिक सुरक्षा CRPF के हवाले है। वाह्य सुरक्षा में यूपी पुलिस और पीएसी के जवान ड्यूटी पर 24 घंटे रहते हैं। इनकी ड्यूटी शिफ्ट में लगती है। जगह-जगह CCTV कैमरे भी लगे हैं। कोई भी भक्त सोने की परत को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। भक्तों को गर्भगृह में लगी स्टील की बैरिकेडिंग से बाहर निकाल दिया जाता है। अमूमन सावन और महाशिवरात्रि (Mahashivratri) जैसे बड़े त्योहारों पर भक्तों के हुजूम के कारण उन्हें गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाता है। झांकी दर्शन और वहीं से जलाभिषेक करने की व्यवस्था की जाती है।

2012 में भी बना था प्लान :

इससे पहले 2012 में भी मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण जड़ित करने का प्लान तैयार किया गया था। लेकिन, तब IIT-BHU के सिविल इंजीनियरों ने गर्भगृह की दीवारों का परीक्षण किया था। इंजीनियरों का कहना था कि गर्भगृह के दीवारें इतना भार नहीं सहन कर सकतीं। जिसके बाद यह योजना आगे नहीं बढ़ सकीं। वहीं पिछले साल 13 दिसंबर को जब कॉरिडोर का निर्माण पूरा हो गया, तब गर्भगृह की दीवारों को मजबूती मिली। इसके बाद महाशिवरात्रि (Mahashivratri) से पहले पूरे गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का फैसला लिया गया।

शिखर स्वर्ण मंडित था पहले :

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर  (shree Kashi Vishvanath Mandir) का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्याबाई होल्कर (Maharani AhilyaBai Holkar) ने साल 1780 में कराया था। इसके बाद साल 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने 22 मन शुद्ध सोने से इसके शिखरों को स्वर्ण मंडित कराया था। उसके बाद जाकर अब इस साल महाशिवरात्रि (Mahashivratri)पर बाबा विश्वनाथ के दरबार को स्वर्ण पत्तर से सजा दिया गया है।

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