उफ ये गर्मी ! कोविड महामारी के बाद फ्रिज के पानी से लोगों ने किया तौबा, मटके का शीतल जल बना लोगों की पसंद

चंदौली। गर्मी के बढ़ते तापमान के बीच गरीबों का फ्रिज यानी घड़ा की डिमांड बढ़ गई है। बाजारों में मिट्टी के बर्तन के दुकानों पर घड़े की कई वैरायटी देखने को मिल रही है। जिसकी कीमत 100 रुपए से लेकर 180 रुपया तक बताई गई। दुकानदार के माने तो कोरोनाकाल के बाद लोग फ्रिज की अपेक्षा घड़ा का पानी पीना ज्यादा पसंद कर रहे हैं शायद यही कारण है, की पहले की अपेक्षा घड़ा की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है।
घड़ा का पानी लोगों की पसंद :
अप्रैल महीने में ही भीषण गर्मी और लुह के थपेड़े ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है। ऐसी गर्मी में लोगों को ठंढ़ा पानी काफी राहत देता है। माध्यम वर्ग तक के लोग ठंढ़ा पानी पीने के लिए फ्रीज का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग ठंढ़ा पानी पीने के लिए घड़ा का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि आधुनिकी के दौर में घड़ा का प्रयोग करने वालों की संख्या कम हो चुकी थी। लेकिन कोविड महामारी के बाद लोगों ने फ्रीज का पानी पीने से परहेज कर रहे हैं और पुनः घड़ा का पानी पीना पसंद कर रहे है। जिसके कारण घड़ा की बिक्री में बढ़त हुई है।

इस वर्ष घड़ा की मांग अधिक :
सुनील प्रजापति का मुख्य व्यवसाय मूर्ति बनना, दिया, कुल्हड़, घड़ा आदि बनना है। अपने पूर्वजों के व्यवसाय को संभाल कर आज भी उसी से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष घड़ा की डिमांड ज्यादा है। जो लोग फ्रीज का पानी पीते थें। कोविड काल के बाद वो लोग भी अब घड़ा का पानी पीना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जिसके कारण पहले की अपेक्षा इस वर्ष घड़ा और सुराही की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है।
अचानक इस वर्ष घड़ा की डिमांड तो बढ़े ही हैं उसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले जो मिट्टी के घड़े 80 से 100 रुपए तक बिकते थें वो अब 110 से 130 रुपए तक बिक रहे हैं। वहीं राख में पकाए हुए घड़े की कीमत 180 रुपए से 200 रुपए तक है। इसके अलावा लोगों की सुविधा के लिए घड़े में टोटी भी लगाए जा रहे हैं। जिनकी कीमत लगभग 150 रुपए है।
बढ़ी हुई कीमतों के कारण लोग बढ़ती महंगाई और मिटाई के कीमतों में बढ़ोतरी बता रहे हैं। मिट्टी का बर्तन और खिलौने बनाने वाले बताते हैं कि पहले मिट्टी के बर्तन या खिलौना बनाने के लिए मिट्टी मुफ्त मिल जाया करती थी। वहीं मिट्टी अब आठ सौ से एक हजार रुपए प्रति ट्राली मिल रहा हैं। ऐसे में मिट्टी के बर्तनों की कीमतें बढ़ाना लाजमी है।