Kaushambi : सामने आई सीता और गीता की अजब कहानी, बैंक में पैसा जमा करती है सीता, निकाल लेती है गीता

कौशांबी : रमेश शिल्पी के निर्देशन में 1972 में आई हिंदी फिल्म सीता और गीता आपको याद जरूर होगी। … कुछ ऐसी ही कहानी सिराथू तहसील के अफजलपुरवारी ग्राम सभा में रहने वाली सीता और गीता की सामने आई है लेकिन इस कहानी में थोड़ा ट्विस्ट है। रील लाइफ की फिल्म में सीता और गीता एक माँ की जुड़वाँ बहने थी जिनकी शक्ल सूरत कद काठी एक जैसी थी लेकिन यहाँ कि रियल लाइफ सीता और गीता की माँ अलग अलग है। शक्ल-सूरत-उम्र गांव अलग अलग होते हुए भी आधार कार्ड में जुड़वाँ हो गई।

आधार कार्ड में सीता और गीता का यूनीक आईडी नंबर एक होने से अब दोनों को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल में रुपये सीता के खाते में आते है तो गीता उन्हें निकाल लेती है। हालांकि गीता ने बाद से रुपये सीता को सौप दिए। लेकिन आधार नंबर दो अलग अलग महिलाओ के एक होने पर ग्रामीण हैरान है। उनका कहना है कि उन्हें में आधार के यूनिक आईडी नंबर पर संदेह होने लगा है। कुछ युवा रील लाइफ की सीता और गीता की परेशानी को अब हकीकत देख कर हैरानी जता रहे है।

कैसे खुला सीता-गीता यूनीक आईडी राज :
सिराथू तहसील के अफजलपुरवारी ग्राम सभा के मजरा बाले का पूरा में सीता देवी पत्नी लोकनाथ रहती है। सीता को प्रधानमंत्री सम्मान निधि मिलती है। सीता के खाते में 6000 आए थे। खाते से रुपए निकल गए। इसकी शिकायत कृषि विभाग में सीता के बेटे सुभाष यादव ने की। उन्हें बैंक में जानकारी लेने को भेजा गया। जांच की गई तो पता चला कि रुपए पइंसा स्थित लिंक ब्रांच से गीता देवी पत्नी जीतेंद्र सिंह निवासी मैदाहाई ने निकाला है। जांच में यह भी पता चला कि सीता देवी का आधार नंबर गीता देवी का आधार नंबर एक है। बस दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि फोटो और पता अलग-अलग है। यही कारण था कि गीता देवी के खाते से रुपए नहीं निकले बल्कि सीता देवी के खाते से रुपए निकल गए। बैंक कर्मियों को इसकी जानकारी हुई तो वह हैरान रह गए।

गलती आधार निर्माता कंपनी की और सीता-गीता बन गई जुड़वा :
एक ही सीरियल नंबर के दो आधार कार्ड जारी हुए हैं। इस पर लोग आसानी से यकीन नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह आधार कार्ड बनाने वाली कंपनी की बड़ी चूक है। सिस्टम में कहीं ना कहीं गड़बड़ी तो है। तभी एक सीरियल के नंबर दो अलग-अलग आधार कार्ड पर जारी हुए हैं। जिसके चलते गांव में महिलाएं अलग-अलग होने के बावजूद भी सीता और गीता जैसी फिल्मी कहानी सामने आ गई है।

आधार नंबर एक होने से सीता और गीता को सता रहा है डर :
सीता और गीता नाम की दो अलग-अलग महिलाओं का आधार नंबर एक होने से दोनों को अपने बैंक खाते में रखे हुए रुपए एवं निजता का भय सता रहा है। वह इस बात से आशंकित हैं यदि सीता से कोई गलती हुई उसकी सजा गीता को भोगनी पड़ेगी। और यदि गीता से कोई गलती हुई तो सीता उसकी जिम्मेदार समझी ना जाय।
एसडीएम सिराथू राहुल देव भट्ट ने बताया, प्रकरण उनके संज्ञान में आया है। जिसकी जाँच राजस्व कर्मियों से कराई जा रही है। सत्यता के आधार पर उच्चाधिकारियों को जानकारी देकर समस्या का निस्तारण कराया जायेगा।