Kaushambi : पुरुष सिपाही के चक्कर में 2 महिला सिपाही भिड़ी, एसपी ने किया संस्पेंड

कौशांबी : बरेली में एक महिला सिपाही के चक्कर में 2 पुरुष सिपाहियों के विवाद का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि कौशांबी जिले में ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमे पुलिस लाइन में एक पुरुष सिपाही के जाल में फसी 2 महिला सिपाहियों के बीच आधी रात जमकर बवाल हुआ। विवाद की जानकारी होने पर एसपी ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है। प्रकरण की जांच एडिशनल एसपी को सौंप कर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। 

ये है पूरा मामला :

जानकारी के अनुसार कौशाम्बी जिले के नगर कोतवाली व महिला थाने की एक-एक महिला सिपाही पुलिस लाइन में निवास करती हैं। जबकि पुरुष कांस्टेबल अजीत यादव भी लाइन हाजिर चल रहा है। गुरुवार रात इन तीनों के बीच जमकर मारपीट हुई। झगड़ा इतना बढ़ा कि बैरकों से निकलकर पूरा पुलिस स्टॉफ बाहर आ गया। एसपी हेमराज मीणा, सीओ सिटी योगेन्द्र कृष्ण नारायण तथा महिला थाना प्रभारी सुशीला त्रिपाठी को भी मौके पर पहुंचना पड़ा। अफसरों के पहुंचने से पहले स्टॉफ के सीनियर्स झगड़ा शांत करा चुके थे। अधिकारियों ने तीनों आरक्षियों को कड़ी फटकार लगाई। मारपीट किस बात पर हुई, इस बाबत महकमे में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। पुलिस लाइन सूत्र बताते है कि महिला और पुरुष सिपाही के बीच आपत्तिजनक हरकतों की वजह से विवाद हुआ था।

प्रतिसार निरीक्षक की ओर से एसपी को भेजी गई रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि कांस्टेबल अजीत यादव ने महिला आरक्षी रिंकी के साथ मिलकर सुधा गौड़ को अपने कमरे में बुलाया और उसके साथ मारपीट की। मतलब साफ है कि अजीत और रिंकी पहले से ही कमरे में मौजूद थे। दोनों के बीच क्या रिश्ता है ? रात के ढाई बजे ये एक कमरे में क्या कर रहे थे ? आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि सुधा को योजनाबद्ध तरीके से कमरे में बुलाकर पीटना पड़ा ? इन तमाम सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है।

एसपी हेमराज मीणा ने कांस्टेबल अजीत यादव, मंझनपुर कोतवाली में तैनात महिला आरक्षी रिंकी यादव व महिला थाना की आरक्षी सुधा गौड़ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। अपर पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने इस प्रकरण को गंभीर अपराध कारित किये जाने का मामला माना है। जारी आदेश में एसपी ने इस घटना को पुलिस की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ आम जनमानस में पुलिस की छवि को धूमिल करने वाला बताया है। आरोपों के घेरे में आए पुलिसकर्मियों का कृत्य पदेन कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाही, अनुशासनहीनता, प्रमाद, स्वेच्छाचारी का द्योतक है।

एसपी ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की नियमावली 1991 के नियम 17 (1) (क) के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है। साथ ही आरोपी पुलिस कर्मियों के बिना अनुमति जिले से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगाया है।

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